ई-सिगरेट का बढ़ता चलन (Electronic Cigarette ka badhta chalan) #e-cigarette #cigarette #tobacco #nicotine #cancer

ई-सिगरेट का बढ़ता चलन (Electronic Cigarette ka badhta chalan)

- रेणु जैन



        नशे का मतलब होता है कि आदमी अपने होश खो बैठे और बेखुदी में चला जाए । अपने आप के गुम हो जाने का नाम ही नशा है । पिछले कुछ सालों से cigarette के विकल्प के रूप में e-cigarette का चलन तेजी से बढ़ा है । e-cigaretteआम सिगरेट से हट कर बैटरी से चलने वाली सिगरेट है जिसमें nicotine युक्त काट्रिज होता है । चालू करने पर इससे निकलने वाली nicotine की भाप सिगरेट जैसा अनुभव देती है । निकोटीन ही वह केमिकल है जो बार-बार स्मोकिंग करने को मजबूर करता है ।  e-cigarette की battery USB drive से चार्ज की जा सकती है ।

    गौरतलब है कि करीब 12 वर्ष पहले चीन में electronic cigarette का आविष्कार हुआ जिसमें बिना nicotine को जलाए और धुँआ छोड़े सिगरेट का मजा लिया जा सकता है । e-cigarette को सिगरेट के सुरक्षित विकल्प के तौर पर प्रचारित किया गया । यही कारण है कि यह America  समेत पूरी दुनिया में किशोरों, युवाओं, प्रौढ़ों तथा महिलाओं में तेजी से लोकप्रिय हो गई । कोरिया में 75 फीसदी युवा e-cigarette का इस्तेमाल करते हैं । एक्शन आॅन स्मोकिंग एंड हेल्थ के मुताबिक पिछले दो सालों में e-cigarette पीने वालों की संख्या बढ़कर तीन गुणा हो गई है । यह संख्या लगभग 21 लाख तक पहुँच गई है ।

    हाल ही में शोधकर्ताओं ने कहा कि लोगों के बीच जिस तरह ई-सिगरेट का प्रचार किया जा रहा है यह वैसा नहीं है । यह बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं है । धुँए का प्रयोगशाला में मानव कोशिकाओं से संपर्क कराया । धुँए के संपर्क में न आने वाली कोशिकाओं की तुलना में धुँए के सपंर्क में आने वाली कोशिकाओं के डीएनए में क्षति पाई गई, जबकि कुछ कोशिकाएँ मृत हो गईं । America के सैन डिएगो में युनिवर्सिटी आॅफ केलिफोर्निया के पेथालाॅजी प्रोफेसर जेसिका बांग का कहना है कि सिगरेट के सुरक्षित विकल्प के तौर पर बाजार में बेची जा रही इलेक्ट्राॅनिक सिगरेट में मानव कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त कर सकने के अलावा कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी का खतरा है । New York स्थित रोसवेल पार्क कैंसर संस्थान के प्रोफेसर मैकसेज गोनीवीज की रिसर्च के मुताबिक e-cigarette की गई विशेषताओं में शामिल कई स्वाद से साँस में जहर जाने का खतरा रहता है । शोधकर्ताओं ने यह भी कहा कि कई लोग voltage बढ़ा देते हैं इससे उपकरण में जहरीलापन बढ़ जाता है ।

    एम.जी.एम. मेडिकल काॅलेज, इन्दौर के डाॅ. उज्जवल सरदेसाई के अनुसार यदि कोई व्यक्ति सिगरेट या बीड़ी पहली बार पीता है तो इसका टेस्ट इतना गंदा रहता है कि उसे दूसरी बार पीने के पहले वह सोचता है । e-cigarette में ऐसा नहीं है । बाजार में सात हजार से अधिक स्वाद वाले e-cigarette में 500 brands हैं । ये विभिन्न flavour में आते हैं लेकिन इसमें ज्यादा nicotine होता है । इनका सेवन करने पर इनका टेस्ट अच्छा लगता है । इसलिए लोग इसके आदी हो जाते हैं । खासकर युवाओं में इसका फैशन चल पड़ा है । बड़ी बात यह है कि school ke बच्चे भी इसकी चपेट में आ रहे हैं जो आगे चलकर cigarette और बीड़ी का सेवन कर सकते हैं ।

    e-cigarette सेहत के लिए उतनी ही घातक है जितनी तंबाकू (tobacco) । इसके लगातार सेवन से cancer, हृदय रोग तथा फेफड़े की बीमारियाँ हो सकती हैं । जरूरत  है इसे बेन करने की ताकि इससे होने वाले नुकसान से बचा जा सके । दुखद बात यह है कि आॅनलाइन बिक्री (online sales) पर कोई रोक नहीं है । आॅर्डर देने वाले की उम्र क्या है इसकी जानकारी में पूरी गोपनीयता रहती है । साथ ही कई परिजन तो पहचान भी नहीं पाते हैं कि बच्चे जो सेवन कर रहे हैं वह क्या है ? आॅनलाइन पर भी एक e-cigarette की कीमत 400 रू. के करीब है । ऐसे में यदि मध्यम वर्ग का बच्चा या युवा इसका आदी बन जाता है तो पूरी आशंका है कि इसके खरीदने के लिए वह रूपए का इंतजाम गलत रास्ते से कर सकता है ।

    जब से बाजार में e-cigarette मिलना शुरू हुई है महिला स्मोकर्स की तादाद भी बढ़ने लगी है । महिलाएँ अब इसे दुकानों से नहीं खरीदतीं बल्कि online shopping करते समय e-cigarette या लाइट सिगरेट मंगाती हैं । महिलाओं का इस बारे में मानना है कि चार्जेबल e-cigarette किसी रेग्यूलर सिगरेट से ज्यादा सुरक्षित है । ये अलग-अलग फ्लेवर में  भी मिल जाती है । ये  फ्लेवर तंबाकू, मैथाल, चैरी, वनीला, पीच, आदि हैं । इसका होठों के बीच रखा जाने वाला बेस सिलिकाॅन (silicon) का होता है जिससे लीकेज की संभावना नहीं होती । सन् 2015 में अमेरिकन मेडिकल ऐसोसिएशन की तरफ से दुनियाभर में सिगरेट ट्रेंड पर एक सर्वे हुआ जिसमें भारत में महिला स्मोकर का आँकड़ा 1 करोड़ 20 लाख 10 हजार बताया गया । नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट और डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट बताती है कि ज्यादातर रईस  परिवारों के लोगों के बीच सिगरेट से जुड़ी बीमारियों को लेकर जागरूकता बढने के
कारण पुरूषों में इसका ट्रेंड कम हो गया है लेकिन दुखद बात यह हैकि इन्हीं परिवार की महिलाओं में smoking का ट्रेंड बढ़ रहा है । जाहिर है इन महिलाओं के दिमाग में आजादी की भावना काम करती है या फिर स्टेटस सिंबल  (status symbol) इन्हें इस स्मोकिंग की तरफ मोड़ देती है ।

    उत्तर-पश्चिमी England के शोधकर्ताओं के मुताबिक e-cigarette के द्रव यानी लिक्विड में बहुत से केमिकल होते हैं, ये रंगहीन और गंधहीन यौगिक पदार्थ हैं । ये शोधकर्ता कहते हैं कि ई-सिगरेट निकोटीन की दुनिया में शराब की तरह है और इस पर सख्ती से प्रतिबंध लगाने की जरूरत है । इनका कहना है कि जिन किशोरों ने कभी सिगरेट का एक कश भी नहीं लिया था वे अब e-cigarette की लत के शिकार हो चुके हैं । जर्मनी (Germany) और यूरोप (Europe) के देशों में इस मुद्दे पर गंभीर बहस चल रही है कि ई-सिगरेट को स्मोकिंग वाले कानून में रखा जाए या नहीं ।

    हाल में World Health Organization ने दुनियाभर की सरकारों से अपील की थी कि वे e-cigarette के इस्तेमाल को रोकने के लिए कड़े कदम उठाएँ । तीन अरब डाॅलर के अन्तर्राष्ट्रीय बाजार को सीमित करने के लिए कहा गया है कि e-cigarette के घरों के भीतर इस्तेमाल पर भी अंकुश होना चाहिए ।

    कंेद्र सरकार पहले से तंबाकू सेवन पर अंकुश लगाने क लिए टैक्स बढ़ौत्री तथा पैकिंग पर सख्त चेतावनी वाले संदेश जैसे कदम उठा चुकी है । भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय अब electronic cigarette पर बैन लगाने की तैयारी में है । भारत में हर साल करीब नौ लाख लोग तंबाकू (tobacco) के कारण ही मरते हैं ।

"This article is owned by us and is purely for reading purpose for our valuable readers. Any type of reproduction/copy is not encouraged by us and may lead to disciplinary actions. Readers are allowed share the article but not to reproduce/copy in any form."



Comments

  1. लोग तो पीते हैं नशा करने के लिए मैं बगैर पिए ही नशे में रहता हूं"
    -यह बहुत पहले मैंने कहा था --यह नशा साहित्य और संगीत का है, इसका नशा ताउम्र उतरता ही नहीं ।
    आपने सही लिखा है यदि यह नशा शराब का सिगरेट का या आजकल प्रचलित ई सिगरेट का हो तो नाश निश्चित है।

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

बीमारियों की वजह टेटू Bimariyo ki vajah banta Tattoo

आहारदान जैसा ही महादान रक्तदान Blood Donation Article in Hindi WORLD BLOOD DONOR DAY

सेहत का रखवाला हल्दी दूध : SEHAT KA RAKHWALA HALDI WALA DUDH (TURMERIC MILK HEALTH BENEFITS) GOLDEN MILK