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आहारदान जैसा ही महादान रक्तदान Blood Donation Article in Hindi WORLD BLOOD DONOR DAY

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विश्व रक्तदान दिवस (आज 14 जून के अवसर पर विशेष) आहारदान जैसा ही महादान रक्तदान (Blood Donation) - नवीन जैन,  वरिष्ठ पत्रकार  ऑक्सीजन और रक्त ये दो ऐसी चीजें हैं जिनके बिना हमारा जीवन एक सेकंड भी नहीं चल सकता । खास बात यह है कि इन दोनों ही चीजों को किसी प्रयोगशाला या अन्य जगह कृत्रिम रूप से नहीं बनाया जा सकता । रक्त सिर्फ भगवान की प्रयोगशाला में ही बनता है ।       आज विज्ञान ने इतनी उन्नति कर ली है कि वह लेबोरेटरी में दवाएँ बना लेता है । एंटीबायोटिक बना लेता है और वैक्सीन भी तैयार कर सकता है लेकिन ब्लड या खून को दुनिया की किसी प्रयोगशाला में नहीं बनाया जा सकता । ईश्वर की इस अनमोल देन को ब्लड डोनेशन (blood donation) द्वारा ही पूरा किया जा सकता है । किसी भी मरीज को कृत्रिम ब्लड नहीं दिया जा सकता क्योंकि उसका निर्माण ही असंभव है ।       रक्तदान हेतु लोगों को अधिक जागरूक करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) द्वारा विश्व रक्तदान दिवस हर वर्ष 14 जून को मनाया जाता है । 1930 में नोबल पुरस्कार से नवाजे जाने वाले कार्ल लैडस्टीनर ( ...

बीमारियों की वजह टेटू Bimariyo ki vajah banta Tattoo

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बीमारियों की वजह टेटू - रेणु जैन                  टेटू (tattoo) बनवाना फैशन और स्टेटस  सिंबल बनता जा रहा है । जिस रफ्तार से भारत में टेटू बनवाने वाले बढ़ रहे हैं उसी गति से इससे होने वाली समस्याओं के मामले भी बढ़ रहे हैं । युवाओं में इसके क्रेज के चलते टेटू आर्टिस्ट की बाढ़ सी आ गई है, मगर चिंता की बात ये है कि इनमें से ज्यादातर ऐसे हैं जिन्हें इस विधा का तकनीकी ज्ञान नहीं है । इसलिए इसका खामियाजा टेटू के दीवानों को भुगतना पड़ सकता है ।         गौरतलब है कि लंदन (London) की यूरोपियन केमिकल्स एजेंसी (European Chemical Agency) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि टेटू बनवाने के लिए जो लाल स्याही इस्तेमाल हो रही है उसमें कई विषैले तत्व होते हैं । इससे कैंसर (cancer) का खतरा भी हो सकता है । इसी तरह इंग्लैंड (England) तथा वेल्स (Wales) के विशेषज्ञों ने भी चैंकाने वाले तथ्य उजागर किए हैं । इनके मुताबिक गैरकानूनी पार्लरों से टेटू  गुदवाना मतलब एचआईवी (एड्स) और हेपेटाइसिस-बी को आमंत्रण देने जैसा है । इन विशेषज्ञों का कह...

तेजी से बढ़ रहे मनोरोग : Mano Rog, Mansik Rog ( Mental Health Article in Hindi)

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तेजी से बढ़ रहे मनोरोग  - रेणु जैन मार्च महीने के आखिर से कोरोना वायरस या कोविड -19 (COVID-19) ने महामारी (Pandemic) का रूप लेलिया ।  इसके वजह से हज़ारो जाने दुनिया भर में जा चुकी है।  वैसे तो यह बीमारी आपके फेफड़ो पर वार करती है लेकिन इन दिनों जो लॉक डाउन (Lockdown) हुआ है उसके वजह से लोगो को कई तरह की मुसीबतो का सामना करना पढ़ा उदाहरण - नौकरी का चले जाना या संकट में आजाना , बचत का ख़त्म होजाना , धंधे पानी रुक जाना इत्यादि। यह शायद 1918 (Spanish Flu)  के बाद पहली बार हो रहा है जब इंसान इंसान से डरने लगा हो । व्यक्ति की सोशल लाइफ (Social Life) पूरी तरह से ठप हो गई है।  इसके वजह से लोग मानसिक बीमारियों की चपेट में भी आने लगे है। इन मानसिक बीमारियों में प्रमुख है अवसाद (डिप्रेशन) (Depression) , चिंता (anxiety), अकेलापन (loneliness) , चिचिड़ापन (irritation) , गुस्सा (angry)  , आक्रामकता , नींद नहीं आना (Insomnia ) इत्यादि । मेन्टल हेल्थ अवेयरनेस ( Mental Health Awareness)  अभी तक माना जाता था कि दुनिया में शरीर से सम्बन्धित बीमारियाँ ही तेजी से बढ़ रही हैं ले...

मिलावट की मार आदमी लाचार: विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस WORLD FOOD SAFETY DAY SPECIAL JUNE 7 #FOODADULTERATION

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 मिलावट की मार आदमी लाचार - रेणु जैन हमारे देश में milawat कोई नया शब्द नहीं है । सालांे से मिलावटखोरी चली आ रही है । milawat करके खूब धन कमाया जाता है और घटिया सामग्री उपभोक्ताओं को उपलब्ध करायी जाती है । मिलावटखोरी रोकने के शुरू से ही कई प्रयास किए जाते रहे हैं लेकिन इस पर लगाम ही नहीं लगती । इस असफलता का एक प्रमुख कारण वे अधिकारी भी हैं जो खाद्य-सामग्री (khadya samagri) से सम्बन्धित विभागों में तैनात हैं। इनकी मिलीभगत के बिना मिलावटखोर धन्ना सेठ अपना कारोबार आगे नहीं बढ़ा सकते । सुबह से शाम तक हम जितनी भी चीजें खाते हैं उनमें प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से milawat की जाती है । एक अनुमान के अनुसार बाजार में उपलब्ध लगभग 30 से 40 प्रतिशत सामान में milawat होती है । खाद्य-सामग्री में मिलावट की वस्तुओं पर निगाह डालने पर पता चलता है कि मिलावटी सामानों का निर्माण करने वाले लोग कितनी चालाकी से लागों की आँखों में धूल झोंक रहे हैं जिसके चलते लोग बीमारियों से ग्रस्त हो जाते हैं। पिछले दिनों बड़े पैमाने पर मिलावटी दूध की आपूर्ति से पता चलता है कि आजकल दूध भी स्वास्थ्यवर्द्धक न होकर म...

शाकाहार से पाएँ लम्बी उम्र: Shakahar Se Paayein Lambi Umra #Vegetariandiet #Vegetarianism

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शाकाहार से पाएँ लम्बी उम्र - रेणु जैन कुछ समय पहले तक यह मान्यता थी कि माँसाहार (non vegetarian food) से शरीर हष्ट-पुष्ट होता है । शरीर को बलवान बनाने के लिए माँसाहार (non vegetarian food) पर ही जोर दिया जाता था, पर अब उक्त धारणा बदलने लगी है । भोजन में माँसाहार को तवज्जो देने वाले लोग मानने लगे हैं कि माँसाहार बलवर्द्धक तो होता ही नहीं उलटे स्वास्थ्य पर विपरीत असर डालता है । इसीलिए दुनिया के कई देशों में शाकाहार (vegetarianism) को प्राथमिकता दी जाने लगी है।  यह माना जाने लगा है कि शाकाहार (vegetarian food) शक्तिवर्द्धक तो होता ही है इससे स्वास्थ्य पर भी विपरीत प्रभाव नहीं पड़ता, साथ ही यह शरीर को निरोग रखता है। वैज्ञानिक अलबर्ट आइंस्टीन ने कहा था कि धरती पर जीवन बनाए रखने में कोई भी चीज मनुष्य को उतना फायदा नहीं पहुँचाएगी जितना की शाकाहार (vegetarian food) का विकास । दरअसल शाकाहार के पक्ष में दुनियाभर में पिछले कुछ सालों से माहौल तेजी से बनने लगा है । दुनियाभर में शाकाहार को बढ़ावा देने वाली प्रतिष्ठित संस्था ‘पेटा’ की प्रवक्ता बेनजीर सुरैया का कहना है कि भारत शाकाहार का जन्मस्...

सेहत का रखवाला हल्दी दूध : SEHAT KA RAKHWALA HALDI WALA DUDH (TURMERIC MILK HEALTH BENEFITS) GOLDEN MILK

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                                              सेहत का रखवाला हल्दी दूध (GOLDEN MILK)                                                                         - रेणु जैन                     चाहे सर्दी-जुकाम हो या फिर कहीं चोट लगी हो हमारे बुजुर्ग झट से घर में हमें हल्दी वाले दूध (Turmeric milk ) पीने की सलाह देते हैं । Corona Virus के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए आयुष मंत्रालय (Ministry of AYUSH)  ने सभी देशवासियों को रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के कुछ टिप्स भी दिए जिसमे एक हल्दी वाला दूध (Turmeric milk ) का सेवन करना भी है।  ‘मसालों की रानी’ कही जाने वाली हल्दी सुनहरे रंग, तेज स्वाद तथा सुगंध वाली होती है । पूरे विश्व में लोग इ...

जानिए कुछ फैक्ट्स स्पेनिश फ़्लु के बारे में - Jaaniye Kuch Facts Spanish Flu ke baare mei

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जानिए कुछ फैक्ट्स स्पेनिश फ़्लु के बारे में  Spanish Flu महामारी जनवरी 1918 से दिसंबर 1920 तक चली. इसने दुनिया में लगभग 50 करोड़ लोगों को संक्रमित किया जो उस समय दुनियाभर की आबादी का 25% था |  इससे मरने वालों की संख्या अनुमानतः 170 लाख से लेकर 5 करोड़ के बीच है।  चलिए जानते है इसके बारे में कुछ interesting facts : 1 ) इस महामारी का नाम Spanish Flu था लेकिन यह Spain में नहीं शुरू हुई थी।   यह महामारी World War 1 के समय शुरू हुई थी।  क्योकि स्पेन वर्ल्ड वॉर १ में neutral था इसलिए वहाँ कोई censorship घोषित नहीं की गई थी।  इसी वजह से वहाँ के अखबारों ने King Alfonso XIII जो की स्पेनिश फ़्लु से इन्फेक्टेड हो गए थे , उनकी खबरें छापना चालू कर दी थी।  दूसरी ओर जो देश इस महामारी से बुरी तरह चपेट में आये हुए थे वे सेंसरशिप के चलते इस बीमारी की खबरें अखबारो में नहीं छापते थे।  इस वजह से स्पेन का नाम पूरी दुनिया में फैलता गया और इसी वजह से इस महामारी को Spanish flu कहा जाने लगा।   2 ) इस महामारी में जितने लोग अपनी जान गवा बैठे उनकी संख्या आज त...

घबराएँ नहीं कहिए-अहा गर्मी वाह गर्मी - GHABRAYE NAHI KAHIYE AHA GARMI VAAH GARMI!

घबराएँ नहीं कहिए-अहा गर्मी वाह गर्मी - रेणु जैन सर्द हवाओं को अलविदा करते ही तपती गर्मी का मौसम आगया । पूरा वातावरण गर्म होने लगा है, लेकिन घबराइए नहीं । थोड़ी-सी तैयारी कीजिए । कुछ छोटी-छोटी बातों पर ध्यान दीजिए और फिर मजे से गर्मी का भी आनंद उठाइए । अमल करें कुछ छोटी-छोटी बातों पर:- सुबह जल्दी उठें और घूमने जाएँ कहावत है कि ‘समय पर उठना एवं समय पर सोना’ व्यक्ति की शारीरिक, मानसिक और आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ बनाता है, लेकिन हममें से कितने लोग ऐसे हैं, जो इस रास्ते पर चलते हैं । गर्मियों के लंबें दिनों में सूरज उगने के पहले का समय ठंडा और खुशनुमा होता है । इस समय आप व्यायाम करे । ऐसे व्यायाम उम्र के हिसाब से हलके और भीरी भी हो सकते हैं । योग, प्राणायाम और ध्यान करें । इससे आप इस जल्दी थका देने वाले मौसम में न सिर्फ चुस्त-दुरूस्त रहेंगे बल्कि आपके तनाव, चिंता, हताशा एवं अवसाद भी दूर हो सकते हैं ।  यदि यह संभव न हो तो सिर्फ टहलने निकल जाएँ । हो सके तो थोड़ी दूर तेज चलें । चिड़ियों की चहचहाट के बीच बागवानी करें । इससे हमें नई आत्मशक्ति मिलती है, जिससे हम फिर पूरे दिन के लिए उत्साह ए...

इंडियन फास्ट फूड सत्तू : INDIAN FAST FOOD SATTU

इंडियन फास्ट फूड सत्तू - रेणु जैन सत्तू का नाम भारत में कोई नया नहीं है । बरसों से यह नाम भोज्य पदार्थ के रूप में प्रचलित है । इसका प्रचलन ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष रूप से होता है । पहले शहरों में भी इसका प्रचलन आम बात थी लेकिन लगातार बढ़ती आधुनिकता के कारण यह खाद्य पदार्थ गाँवों तक ही सिमटता जा रहा है मगर क्या आपको पता है कि विदेशों में खाने की ऐसी बहुत सी चीजें प्रचलित हैं जो भारत में खोजी गई या भारत में पाई जाती है। इन भारतीय चीजों को न सिर्फ वहाँ मँहगे दामों पर बेचा जाता है बल्कि कुछ जगहों पर इनके लिए लोग लाइन में लगाकर अपनी बारी का इंतजार भी करते हैं । सत्तू की महक आज भारत ही नहीं दुनिया के कई देशों में फैल रही है। चीन, दक्षिण कोरिया, अफ्रीका आदि देशों में सत्तू लोकप्रिय हो रहा है । गौरतलब है कि भारत के प्राचीन गं्रथों में सत्तू शब्द का प्रयोग मिलता है । स्नान के बाद सत्तू का दान करना शास्त्रों में महत्वपूर्ण बताया गया है । पाली प्राकृत में सत्तू, प्राकृत और भोजपुरी में सतुआ, कश्मीरी में सोतु, कुमाउनी में सातु-सत्तु, पंजाबी में सत्तू, सिंधी में सांतू, गुजराती में सातू तथा हि...