Posts

Showing posts with the label Trending Topics

जानिए ऑक्सीजन को | Oxygen Article in Hindi

Image
जानिए ऑक्सीजन  को - रेणु जैन             Oxygen kya hai?   हवा की  महत्ता का अनुमान इस तरह लगा सकते हैं कि मनुष्य भोजन के बिना कई दिनों तक जीवित रह सकता है लेकिन उसे वायु यानी ऑक्सीजन नहीं मिले तो उसका जीवित रहना असंभव है । अभी तक वैज्ञानिक मान रहे थे कि साइनोबैक्टीरिया ऑक्सीजन  का निर्माण करने वाले पहले सूक्ष्म जीव थे, पर अब ब्रिटेन के इंपीरियल काॅलेज (Britain Imperial College) के शोधकर्ताओं के एक शोध में इस बात का खुलासा हुआ है कि आज से करीब 3.6 अरब वर्ष पहले ही पृथ्वी पर ऑक्सीजन  का निर्माण शुरू हो गया था । गौरतलब है कि मनुष्य दिन भर में जो कुछ भी लेता है, उसका 75 फीसदी भाग ऑक्सीजन  ही होता है । वैज्ञानिकों के अनुसार एक सामान्य व्यक्ति हर मिनट में 15 बार साँस लेता-छोड़ता है । इस तरह वह पूरे दिन में 21,600 बार साँस लेने और छोड़ने की प्रक्रिया करता है । वह प्रतिदिन 15 से 18 किलोग्राम तक ऑक्सीजन  श्वास में ले लेता है । इस तरह साँस लेने और छोड़ने का संबंध हमारी आयु सीमा के साथ-साथ स्वास्थ्य स्तर पर भी गहरा प्रभाव डालता है । पृ...

आया मौसम झूलों का Aya Mausam Jhulon Ka Article in Hindi

Image
आया मौसम झूलों का - रेणु जैन सावन का महीना (Sawan Ka Mahina)  भगवान शिव ( Bhagwan Shiva) की भक्ति का महीना तो है ही भारत की धरा पर नई सुबह का महीना भी है। सावन के आने का भला किसे इंतजार नहीं होता। यह इंतजार इसलिए होता है कि सावन नाम ही मन खिला देता है। युवतियों के मन सावन में झूमने लगते हैं। इसकी एक वजह यह भी है कि सावन महीने में झूले लगते हैं। इन झूलों का युवतियों को इंतजार रहता है क्योंकि ये झूले उन्हें न जाने किस-किस तरह से प्रफुल्लित करते हैं। यूँ तो ये झूले ज्यादातर बाग-बगीचों में लगते हैं लेकिन जिन घरों में जगह हो वहाँ भी पूरे  सावन के महीने में झूले लगे रहते हैं। इन पर घरवाले ही नहीं आस-पड़ोस की युवतियाँ और महिलाएँ  भी झूलती हैं। भारतीय संस्कृति में झूला झूलने की परम्परा वैदिक काल से ही चली आ रही है।         भगवान श्रीकृष्ण (Bhagwan Shri Krishna) राधा (Radha)  संग  झूला झूले और गोपियों संग रास रचाते थे । मान्यता है कि इससे प्रेम बढ़ने के अलावा प्रकृति के निकट जाने एवं उसकी हरियाली बनाए रखने की प्रेरणा मिलती है। हाँलाकि आधुनिक युग में स...

साइबर बुलिंग की गिरफ्त में बच्चे CYBER BULLYING ARTICLE IN HINDI

Image
साइबर बुलिंग की गिरफ्त में बच्चे - रेणु जैन What is Cyber bullying ?  साइबर बुलिंग क्या है ?   साइबर बुलिंग Cyber Bullying यानीे गंदी भाषा, तस्वीरों या धमकियों  से इंटरनेट (Internet) पर तंग करना । साइबर बुलिंग को ऑनलाइन रैगिंग (Online Ragging ) भी कहा जा सकता है। जानकारों के अनुसार साइबर बुलिंग Cyber Bullying एक तरह का ऐसा बर्ताव है जो ऑनलाइन किया जाता है । इसमें झूठी अफवाहें और गंदी तस्वीरों के द्वारा बच्चों को टाॅर्चर (torture) किया जाता है ।       कई बार ऑनलाइन गेम्स भी बच्चों पर साइबर बुलिंग जैसा बर्ताव करते हैं । साइबर बुलिंग खतरनाक तब साबित होता है जब बच्चे इससे जुड़ी बातें अपने माता-पिता को नहीं बताते । आँकड़ों के अनुसार बच्चे रोज 6 से 7 घंटे सोशन नेटवर्किंग साइटों (social networking sites) पर बिताते हैं ।   Cyber Bullying Statistics   साइबर बुलिंग  से जुड़े आंकड़े            हाल ही में चाइल्ड राइट्स एंड यू (CRY) ने एक शोध किया जिसमे दिल्ली NCR के 630 किशोर अवस्था वाले य...

असली ज़िन्दगी में भी ब्लॉकबस्टर - सोनू सूद : SONU SOOD ARTICLE HINDI MEIN

असली ज़िन्दगी में भी ब्लॉकबस्टर - सोनू सूद  नवीन जैन , वरिष्ठ पत्रकार                                   अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) का नाम  सदी के महानायक के रूप में  हर दम कायम रहेगा मगर अभिनेता मॉडल सोनू सूद (Sonu Sood) कोविड 19 (COVID-19) के संकटकाल में प्रवासियों की दिल खोल कर मदद के लिए मसीहा बनकर उभरे हैं । भारत में अक्सर समाज सेवा को फुर्सत का काम माना जाता है लेकिन इस 47 वर्षीय अभिनेता अपने इस नए  काम को जीवन मरण का सवाल बना लिया है। अपने काम से ही नही अपने व्यवहार से भी पलायन कर रहे सोनू सूद उनके लिए नई ज़िन्दगी बन रहे है।                                  सन 1999 से  सोनू सूद (Sonu Sood)   हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़ और पंजाबी फिल्मों में दिखाई दे रहे हैं। । सोनू के नाम कुछ बड़े पुरुस्कार भी हैं जैसे  कि 2009 में, उन्हें तेलुग...

JUNE 5 WORLD ENVIRONMENT DAY SPECIAL : कोरोना संकट से उबार सकता है पर्यावरण संरक्षण भी

Image
JUNE 5 WORLD ENVIRONMENT DAY SPECIAL कोरोना संकट से उबार सकता है पर्यावरण संरक्षण भी - नवीन जैन, वरिष्ठ पत्रकार                   COVID-19 या Corona वायरस के खतरों से निकलने के लिए पर्यावरण संरक्षण पर भी ज्यादा से ज्यादा ध्यान देना जरूरी हो गया है। शोधों से जाहिर हो चुका है कि कोरोना का महासंकट प्रकृति से की गई लगातार मनमानी छेड़छाड़ से भी उपजा। 5 जून एक ऐसा दिन है जब हम प्रकृति संरक्षण को जीवन का छोटा सा मकसद भी बना सकते है । 5 जून को हर साल विश्व पर्यावरण संरक्षण दिवस मनाया जाता है। अथर्व वेद में कहा गया है कि हे धरती माँ, जो कुछ भी तुमसे लूँगा वह उतना ही होगा जितना तू पुनः पैदा कर सके । तेरे मर्मस्थल पर या तेरी जीवन शक्ति पर कभी आघात नहीं करूँगा । मनुष्य जब तक प्रकृति के साथ किए गए इस वादे पर कायम रहा सुखी और संपन्न रहा किन्तु जैसे ही इस वादे का अतिक्रमण हुआ प्रकृति के विध्वंसकारी और विघटनकारी रूप उभर कर सामने आए । सैलाब और भूकम्प आए । पर्यावरण में और विषैली गैसें घुलीं । मनुष्य की आयु कम हुई और धरती एक-एक बूँद पानी के लिए तरसने...

जानिए टिड्डी दल को- Locust kya hai Hindi mein.

Image
जानिए टिड्डी दल को - रेणु जैन टिड्डी (Locust) के लाखों की संख्या में आए झुंडों ने भारत मे भारी आतंक मचा दिया है। जिसके चलते खासकर खड़ी फसलें बर्बाद हो गई हैं। ये टिड्डियाँ इस तरह का हमला अक्सर बोलती रहती है जिसकी कोई पूर्व सूचना नही होती। तो जानिए टिड्डी दल को..... * कहा जाता है कि दुनिया मे टिड्डियों (Locust) की 10 हजार से ज्यादा प्रजातियां होती है। लेकिन भारत मे केवल चार प्रजातियां होती है जिनमे रेगिस्तानी टिड्डा , प्रवाजक टिड्डा, बम्बई टिड्डा ओर पेड़ वाला टिड्डा शामिल है। रेगिस्तानी टिड्डा सबसे खतरनाक होता है।  *विश्व मे मनुष्य से भी पहले कीटों  का अस्तित्व रहा है। कीट पतंगे मनुष्यों की जिंदगी से बहुत नजदीक से जुड़े है। टिड्डे (Locust) को रामजी का घोड़ा भी कहा जाता है।  * वैसे टिड्डी (Locust) अकेले में शांत ही होती है पर अगर समूह में हो तो बड़ी उग्र हो जाती है। प्राचीन ग्रंथों में रेगिस्तानी टिड्डों को मनुष्यों के लिए अभिशाप बताया गया है। टिड्डी दल को सोए हुए दानव की उपमा भी दी जाती है। क्योंकि ये टिड्डी दल कभी भी उत्तेजित हो जाते है।  * आसमान में जब टिड्डी (Locust)...

चीन को लेकर लगातार सतर्कता की जरूरत - China ko lekar lagatar satarkta ki zaroorat

Image
चीन को लेकर लगातार सतर्कता की जरूरत  नवीन जैन , वरिष्ठ पत्रकार  यह सिर्फ और सिर्फ एक ख़ामोख्याली भी हो सकती है कि Prime Minister Narendra Modi के सख्त रवैये और America के बीच मे पड़ने के कारण काली नज़र वाला चीन अपनी हेकड़ी भूल बैठा है। इसलिए कहा जा सकता है कि मोदी की जो सर्वत्र प्रशंसा हो रही है , वह भी उचित नहीं है। नोट करें कि यह वही ड्रेगन था जिसने ढाई - तीन साल पहले 2017 में डोकलाम विवाद के चलते 73 दिनों तक भारत की नींद हराम कर दी थी और स्थिति जंग तक पहुंच गई थी। उस वक्र चीन ने India को धमकी दी थी या डराया था कि India 1962 में हुई शर्मनाक पराजय को याद रखें। गहराई से सोचे तो पता चलेगा कि 1962 में राजनेता चाऊ एन लाई ने हिन्दू - चीनी भाई - भाई कहा था। यह नारा दुनिया भर में मशहूर हो गया था।  तत्कालीन भावुक प्रधानमंत्री प. जवाहरलाल नेहरू का तब खुशियों का ठिकाना नहीं रहा था, लेकिन उसी दौरान चीन ने धोखे से जो हमला बोला तो कहते हैं कि हमारी पलटनों को कई किलोमीटर की रफ्तार से पीछे हटना या पोस्ट खाली करके भागना पड़ा था। इस धोखे से पंडितजी दिल के दौरे से चल बसे थे। इसके बाद भारत ने अ...