चीन को लेकर लगातार सतर्कता की जरूरत - China ko lekar lagatar satarkta ki zaroorat
यह सिर्फ और सिर्फ एक ख़ामोख्याली भी हो सकती है कि Prime Minister Narendra Modi के सख्त रवैये और America के बीच मे पड़ने के कारण काली नज़र वाला चीन अपनी हेकड़ी भूल बैठा है। इसलिए कहा जा सकता है कि मोदी की जो सर्वत्र प्रशंसा हो रही है , वह भी उचित नहीं है। नोट करें कि यह वही ड्रेगन था जिसने ढाई - तीन साल पहले 2017 में डोकलाम विवाद के चलते 73 दिनों तक भारत की नींद हराम कर दी थी और स्थिति जंग तक पहुंच गई थी। उस वक्र चीन ने India को धमकी दी थी या डराया था कि India 1962 में हुई शर्मनाक पराजय को याद रखें।
गहराई से सोचे तो पता चलेगा कि 1962 में राजनेता चाऊ एन लाई ने हिन्दू - चीनी भाई - भाई कहा था। यह नारा दुनिया भर में मशहूर हो गया था। तत्कालीन भावुक प्रधानमंत्री प. जवाहरलाल नेहरू का तब खुशियों का ठिकाना नहीं रहा था, लेकिन उसी दौरान चीन ने धोखे से जो हमला बोला तो कहते हैं कि हमारी पलटनों को कई किलोमीटर की रफ्तार से पीछे हटना या पोस्ट खाली करके भागना पड़ा था। इस धोखे से पंडितजी दिल के दौरे से चल बसे थे। इसके बाद भारत ने अपनी विदेश नीति खासकर चीन और पाकिस्तान में क्रांतिकारी बदलाव किए । रक्षा विशेषज्ञ बताते हैं कि स्व.राष्ट्रपति भारत रत्न तथा मिसाइल मेन एपीजे कलाम के नेतृत्व में भारत ऐसी मिसाइल विकसित कर चुका है जो Beijing तक मार कर सकती है।
ताज़ा मामला Ladakh में दो क्षेत्रों को चीन द्वारा अपने हक़ में बताए जाने को लेकर है, जहां दोनों देशों की हजारों की संख्या में तैनात सेनाएं इन पंक्तियों के लिखे जाने तक तो अपनी छावनियों में लौटी नहीं है। जान लें कि भारत - चीन की सीमा लगभग 3500 किलोमीटर से अधिक है। प्रख्यात हिंदी संपादक - पत्रकार स्वर्गीय राजेन्द्र माथुर कहा करते थे कि किसी भी सफल सरकार के लिए स्पष्ट राजनय तथा चुस्त जासूसी तंत्र की जरूरत होती है। सन 1962 में भारत की हार का सबसे बड़ा कारण यह भी था कि हमारा जासूसी तंत्र ( इंटेलिजेंस ब्यूरो ) पर्याप्त रूप से चुस्त नहीं था। इसलिए चीन की चालबाजियों की गुप्त सूचनाएं तत्कालीन रक्षा मंत्री स्व. कृष्ण मेनन को ठीक से नहीं मिल पा रही थीं। परिणाम यह हुआ कि भारत गफलत में रहा कि ड्रेगन के इरादे बुरे नहीं है और अचानक हमला हो गया।
इस असफलता का दोषी कहते हैं सबसे पहले रक्षा मंत्री स्व. कृष्ण मेनन को माना गया था , जो नेहरूजी के निकटस्थ तथा विश्वस्त मित्र थे, मगर तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राधाकृष्णन के अड़ जाने के कारण नेहरूजी को मेनन का इस्तीफा मांगना पड़ा था।
फिलहाल , रक्षा मंत्री Rajnath Singh पूरी तरह सफल सिद्ध हो रहे हैं। हमारी तीनों सेनाओं के शीर्षतम अधिकारी अपने पराक्रम के कई उदाहरण दे चुके है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी आई. बी. ( इंटेलिजेंस ब्यूरो ) के रिटायर डायरेक्टर रह चुके हैं। इसलिए देश की सुरक्षा के चाक चौबंद रहने पर तो सवाल एकदम से उठाया नहीं जा सकता। मगर जैसा कि America के पूर्व राष्ट्रपति John F. Kennedy ने कभी कहा था कि सुरक्षा को भले ही दुश्मन माफ कर दिया जाए , लेकिन उस पर तीसरी जासूसी नज़र हरदम रखी जानी ही चाहिए।
दरअसल चीन की हाल की सबसे बड़ी परेशानी जानकार यह मान रहे हैं कि COVID-19 या Corona वायरस चीन से पूरी दुनिया में फ़ैलाव के कारण चीन की तरफ से हर देश ने मुँह मोड़ लिया है। पाकिस्तान और नेपाल उसके उकसाने पर ही हरकतों से बाज़ नही आ रहे हैं।जान लें कि हाल में पाकिस्तान तथा चीन में एक समझौता हुआ है जिसके तहत पाकिस्तान में चीन जो विशाल बांध बनवाएगा उसका कर्ज़ कहते हैं पाकिस्तान कभी उतार ही नहीं पाएगा।वैसे भी पाकिस्तान ने चीन को ज़मीन का एक बड़ा हिस्सा दे दिया है जो भारत के लिए हरदम बड़ा खतरा रहा है । ड्रेगन के उकसाने के कारन ही नेपाल ने फिर से भारत के तीन भागों कालापानी लिपियाधुरा और लिपुलेख को अपने नक्शे में बताते हुए विधेयक भी संसद में पेश कर चुका है। यह इलाका 350 किला मीटर लंबा है ।जानकार कहते हैं कि यह सामान्य ज़िओ पॉली टिक्स की घटना से अलग हटकर बहूत कुछ हो सकती है ।अतः भारत को गफ़लत में नहीं रहना चाहिए ।
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दरअसल चीन की हाल की सबसे बड़ी परेशानी जानकार यह मान रहे हैं कि COVID-19 या Corona वायरस चीन से पूरी दुनिया में फ़ैलाव के कारण चीन की तरफ से हर देश ने मुँह मोड़ लिया है। पाकिस्तान और नेपाल उसके उकसाने पर ही हरकतों से बाज़ नही आ रहे हैं।जान लें कि हाल में पाकिस्तान तथा चीन में एक समझौता हुआ है जिसके तहत पाकिस्तान में चीन जो विशाल बांध बनवाएगा उसका कर्ज़ कहते हैं पाकिस्तान कभी उतार ही नहीं पाएगा।वैसे भी पाकिस्तान ने चीन को ज़मीन का एक बड़ा हिस्सा दे दिया है जो भारत के लिए हरदम बड़ा खतरा रहा है । ड्रेगन के उकसाने के कारन ही नेपाल ने फिर से भारत के तीन भागों कालापानी लिपियाधुरा और लिपुलेख को अपने नक्शे में बताते हुए विधेयक भी संसद में पेश कर चुका है। यह इलाका 350 किला मीटर लंबा है ।जानकार कहते हैं कि यह सामान्य ज़िओ पॉली टिक्स की घटना से अलग हटकर बहूत कुछ हो सकती है ।अतः भारत को गफ़लत में नहीं रहना चाहिए ।
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Very nicely written.
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